पप्पूजी उवाच :ये सूट बूट वाली सरकार है.……
दो महीने के अज्ञातवास के बाद आदमी का बौद्धिक विकास हो जाए ये बिलकुल जरूरी नहीं है। पांडव तो बारह बरस का वन प्रवास भुगतने के बाद पूरे एक बरस का अज्ञातवास भुगताये थे। फिर भी क्या प्रारब्ध ज़रा सा बदला था। पप्पूजी का यदि बदला हो तो वे सदन को इसकी जानकारी दें। उनके वक्तव्य से इसका बोध नहीं होता।
जिनके पास विषय का बोध नहीं होता विषय की जानकारी नहीं होती वे ऐसे ही असंगत बोलते हैं।पैन /कलम निकाल कर मुंह से चबाने लगते हैं। आस्तीन चढ़ा लेते हैं।
क्या पिछली सरकार में धौती फटकारने वाले नहीं थे ?क्या वे धौती खोल देते थे ?कुछ तो सोचो बबुआ।
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