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शुक्रवार, 10 जुलाई 2015

सोचता हूँ अगर घर बाहर ऐसा शख्श न हो तो ऐसे परजीवियों ,परभक्षियों का क्या हो

सोचता हूँ अगर घर बाहर ऐसा शख्श न हो तो ऐसे परजीवियों ,परभक्षियों का क्या हो

मेरा या आपका घर हो या भारत राष्ट्र आसपास ऐसे लोग मिल जाएँगें जो अपनी नाकामयाबियों का ठीकरा आपके सर पे फोड़ना चाहेंगे ,और फोड़ के साफ़ निकल जाएंगे। इनके जीवन में जो भी अच्छा या शुभ होता है वह सिर्फ इनकी और इनकी वजह से होता है ,इनकी वह अप्रतिम उपलब्धि होती है और हर बुरी बात किसी और की वजह से होती है फिर चाहें इन्हें मच्छर काट के निकल जाए या मलेरिया ही हो जाए .

सोचता हूँ अगर घर बाहर ऐसा शख्श न हो तो ऐसे परजीवियों का क्या हो ?घर परिवार चलता रहे इसके लिए ज़रूरी है राष्ट्रीय स्तर पर एक नरेंद्र मोदी हों और और घर में एक ऐसा व्यक्ति हो जो मौके बे -मौक़ा अपना सर हाज़िर कर दे घड़ा फुटवाने के लिए।

घर चलता रहे ये ज़रूरी है।

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