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सोमवार, 13 जुलाई 2015

रमजान का महीना हो और आपके सिर पे गोल टोपी हो फिर आपके लिए क़ानून कैसा ?

रमजान का महीना हो और आपके सिर  पे गोल टोपी हो फिर आपके लिए क़ानून कैसा ?

जिस गोल टोपी के नीचे से वोट निकलते हों उसे क़ानून का डर कैसा ?एक चैनल महीयसी कह रहीं थीं पुलिस वाले भीड़ के गुस्से का शिकार कैसे हो जाते हैं ?कुछ गुंडे आते हैं और पुलिस को पीट जाते हैं। वे यह नहीं कहतीं ये लोग राजनीतिक पार्टी के पालतू गुर्गे होते हैं जिन्हें टोपी लगाके भेज दिया जाता है।गुंडे नहीं ये गुंडेनुमा कार्यकर्ता होते हैं जो किसी पार्टी द्वारा भेजे जाते हैं।

 हर जुमला  एक ख़ास सम्प्रदाय की आड़ लेकर एक ख़ास सम्प्रदाय के लोग थे जैसे जुमलों की ओट  से हमारे तमाम चैनलिये इन दिनों बोलते हैं। कोई ये नहीं कहता कि जब चारों और इफ़्तार पार्टी देने की होड़ लगी हो अभी सोनिया मायनो,अभी लालू यादव अभी.……… तब कौन किस क़ानून का पालन करे।


गोल टोपी पहनने वाले के फंडे साफ़ हैं हेलमेट पहनने से कोई फायदा नहीं उसके नीचे से वोट नहीं निकलते ,ट्रेफिक पुलिस को अभी तक इत्ती सी बात भी पता नहीं चली -भाईजान ये हिन्दुस्तान है जहां एक चैनलियों की भाषा में गोल टोपी पहनने वाले को हर क़ानून में रियायत है। 

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