1:
मत काटो शाख़-ए-शजर
लौटेंगे थक कर
इक शाम परिन्दे घर
:2:
मैं मस्त कलन्दर हूँ
बाहर से क़तरा
भीतर से समन्दर हूँ
:3:
ये किसकी राह गुज़र
गुज़रा जो इधर से
झुक जाती क्यूँ है नज़र
:4:
आए वो ख़यालों में
उलझा हूँ तब से
कितने ही सवालों में
:5:
ज़ाहिद की बातें हैं
मानू मैं किसकी
मयख़ाने बुलाते हैं
-आनन्द.पाठक
09413395592
बहुत खूब।
जवाब देंहटाएंमाहिया बहुत बढ़िया रहे।
achchhee haaikoo !
जवाब देंहटाएंआ0 प्रसून जी
हटाएंआप का बहुत बहुत आभार
सादर
आ0 शास्त्री जी
जवाब देंहटाएंआप का बहुत बहुत धन्यवाद चर्चा में शामिल करने के लिए
सादर
आ0 जोशी जी
जवाब देंहटाएंसराहना के लिए आप का बहुत बहुत धन्यवाद
सादर