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गुरुवार, 3 जुलाई 2014

महंगी पड़ सकती है गोरेपन की चाह

fairness


डॉ. रोहित बतरा
हमारे देश में ही नहीं, विदेशों में भी फेयरनेस क्रीम को लेकर मोह बना हुआ है। पर अधिकतर लोग इस बात से अनजान हैं कि इनका हमारी त्वचा पर घातक असर होता है। पिछले दिनों हुए एक अध्ययन के मुताबिक देश के ज्यादातर गोरा बनाने का दावा करने वाले कॉस्मेटिक प्रॉडक्ट्स में मरकरी जैसे हानिकारक मेटल्स मौजूद होते हैं, जबकि लिपस्टिक में क्रोमियम। गोरा बनाने वाली क्रीम में मरकरी का होना हमारे यहां गैरकानूनी तो है ही, लेकिन इससे सेहत को भी कुछ कम खतरे नहीं :

किसी भी तरह की क्रीम के सहारे हमारी त्वचा के रंग में जो बदलाव होता है, वह स्थायी नहीं हो सकता। हां, इन क्रीमों से त्वचा की ऊपरी परत का रंग थोड़ा हलका हो सकता है। असल में, हजारों स्किन सेल्स हर रोज अपनी जगह से उतर जाती हैं। और त्वचा की भीतरी परतों में मेलनिन की वह मात्रा मौजूद होती है, जो हमें जेनेटिकली मिली हैं। चूंकि ये स्किन सेल्स तीन से चार हफ्तों में वापस बढ़ जाती हैं, तो इनके साथ ही त्वचा का गहरा रंग भी वापस आ जाता है। इसका मतलब यह है कि आपको ये कॉस्मेटिक्स लगातार इस्तेमाल करने पड़ेंगे। जाहिर है कि इसके साइड इफेक्ट भी होंगे।

फेयरनेस क्रीम चाहे महिलाओं की हो या पुरुषों की, इनके साथ त्वचा की परत के पतले होते जाने का साइड इफेक्ट होता ही है। गोरा बनाने का दावा करने वाली क्रीम के नियमित इस्तेमाल करने से स्किन अपनी टाइटनेस खोने लगती है। और फिर हमारी त्वचा बेहद संवेदनशील बन जाती है। ज्यादातर लोग यह नहीं जानते कि फेयरनेस क्रीम के इस्तेमाल के बाद धूप में जाने पर इसीलिए सनबर्न होने की आशंका रहती है। दरअसल, इनके लगातार इस्तेमाल से त्वचा में सनलाइट सेंसिटिविटी की समस्या भी हो जाती है। इसके साथ ही, आगे चलकर परमानेंट पिगमेंटेशन की आशंका भी है।

ऐसा देखा गया है कि गोरा बनाने वाले लोशन व क्रीम में मरकरी इसलिए इस्तेमाल किया जाता है, क्योंकि यह मेटल हमारी त्वचा में मेलनिन के बनने की प्रकिया को रोक देता है। जाहिर है कि जब मेलनिन नहीं बनता तब त्वचा और बालों में पिगमेंटेशन भी नहीं हो पाता। पिगमेंटेशन ही हमारे रंग को सांवला बनाता है। अक्सर कुछ कॉस्मेटिक उत्पादों के इस्तेमाल करते ही उनकी एलर्जी साफ दिखाई दे जाती है, इसकी वजह भी इनमें मौजूद मेटल ही होते हैं। किसी कॉस्मेटिक में टॉक्सिक हेवी मेटल्स के मौजूद होने से स्किन को काफी नुकसान हो सकता है। साथ ही कैंसर होने का खतरा भी है।

इसके अलावा, कॉस्मेटिक्स में लेड के मौजूद होने से भी कुछ कम खतरे नहीं। लेड के बारे में यहसाबित हो चुका है कि यह न्यूरोटॉक्सिन है और इसका संबंध सीखने की क्षमता पर भी पड़सकता है। इतना ही नहीं, इससे बोली और व्यवहार संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं। पुरुषों वमहिलाओं में हॉर्मोनल बदलावों के लिए भी यह जिम्मेवार हो सकता है, जिसके कारण उनकीप्रजनन क्षमता भी प्रभावित हो सकती है। जबकि प्रेग्नेंसी के दौरान लेड बेस्ड कॉस्मेटिक से दूररहना ही बेहतर है। क्योंकि इससे गर्भपात होने की भी आशंका रहती है। मरकरी एक ऐसा मेटल हैजिसके कॉस्मेटिक में नर्वस सिस्टम और इम्यून सिस्टम भी प्रभावित हो सकते हैं।

आर्सेनिक, कैडमियम, लेड, मरकरी और निकेल कई ब्रैंड्स के क्रीम, लिपस्टिक व लिप ग्लॉस मेंमौजूद होते हैं। ऐसे में जब इन हेवी मेटल्स वाले कॉस्मेटिक प्रॉडक्ट्स का लगातार इस्तेमाल कियाजाता है, तब ये मेटल धीरे-धीरे शरीर में अपनी जगह बनाने लगते हैं। फिर समय के साथ इनसेहोने वाले नुकसान भी हमारे शरीर को उठाने पड़ते हैं। ऐसे कॉस्मेटिक्स के ज्यादा इस्तेमाल सेबचने की जरूरत है।

(लेखक जाने-माने डर्मेटॉलजिस्ट हैं)
 

http://navbharattimes.indiatimes.com/other/thoughts-platform/good-to-know/You-may-want-fairness-expensive/articleshow/37581382.cms

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