एक भीना-भीना सा मौसम
यादों की मुंडेर पर आ बैठा है
एक पल ख़ामोशी के आँचल में
दूजे पल बादलों के संग उड़ पड़ता है
यादों की फुहारों में जीवन बगिया
ख़िल कर ताज़गी से भर उठती है
एक कुमभलाता सा कवल अपने ही
तालाब के पानी में मुस्कुरा उठता है
ये यादें भी निर्जीव को सजीव कर जाती हैं
कभी नवप्राण नवचेतना से
यादों की मुंडेर पर आ बैठा है
एक पल ख़ामोशी के आँचल में
दूजे पल बादलों के संग उड़ पड़ता है
यादों की फुहारों में जीवन बगिया
ख़िल कर ताज़गी से भर उठती है
एक कुमभलाता सा कवल अपने ही
तालाब के पानी में मुस्कुरा उठता है
ये यादें भी निर्जीव को सजीव कर जाती हैं
कभी नवप्राण नवचेतना से
काया को नव उल्लास दे जाती हैं !!!!!!
$hweta
बहुत सुंदर ।
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंमुबारक मुबारक मुबारक अभिनन्दन आपके द्वारा अन्यों का भी आपका बड़ा सुख है।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया रचना
जवाब देंहटाएं