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गुरुवार, 6 अगस्त 2015

शरण न देगी गंगाधार ,प्रेत हो सब भटकेंगे , डीएनए में राष्ट्रद्रोह ,इन याक़ूबों के ।

डीएनए में राष्ट्रद्रोह ,इन याक़ूबों के



संसद को पंगु किया ,चौवालीस संतुष्ट 

लोकतंत्र की नाव  को ,डुबो रहे ये दुष्ट। 

डुबो रहे ये दुष्ट सेकुलर ,डूबें नाव के संग । 

धत कर्मों की वैतरणी में ,सभी हैं नंगमनंग ॥ 


शरण न देगी गंगाधार ,प्रेत हो सब भटकेंगे ,

डीएनए में राष्ट्रद्रोह ,इन याक़ूबों के । 

कौन करेगा श्राद्ध, और कौन भरेगा पिंड  ,

संसद को पंगु किया ,चौवालीस बरबंड ॥ 

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