पता लगाओ ऐसी कौन सी जमात है जो याक़ूबों के पक्ष में उतर आती है राष्ट्रपति के पास उसकी माफ़ी के लिए काफिला बनकर जाती है। अगर कोई हमारे देश पर हमला कर दे तो उसका समर्थन करने वाला देश द्रोही नहीं कहलायेगा ?क्या शशीथरूर और दिग्विजय के बयानों में याकूब की फांसी के प्रति एक बे -चैनी नहीं थी?क्या सुप्रीम कोर्ट ने ये नहीं खा कि यदि याकूब मेमन इस आतंकी साजिश में शामिल नहीं होता तो मुंबई पे विस्फोटकों से हमला न होता।
अन्वेषण करो पता लगाओ कौन सी है वो जमात जो इस देश को तोड़ना चाहती है। क्या संसद के वोट के आधार पर फूलन देवी नहीं पहुंची संसद में ?जिस संसद के सभापति के मुंह के आगे तख्तियां ख्यात सांसद लहराते हैं वेळ में कूदते हैं वह पवित्र समझी जाए? उसकी पवित्रता के आप सचमुच में कायल हैं या वह आपकी रखैल है ?
पता लगाओ सोनिया मायनो के इस देश में राजनीतिक प्रवेश का मकसद क्या था अब जब कि एकाधिक स्रोतों से ये पुष्ट हो चुका है कि वह केजीबी की डबल एजेंट थीं जिन्होनें आते ही पॉप की जय का जैकारा बोला था शंकराचार्य को अरेस्ट करवाया था। क्यों हमारे सांसद उसके तलुवे चाट रहें हैं बिना उसकी तात्विकता जाने उसकी चापलूसी कर रहे हैं यदि ये मेधा वह अपने माँ बाप की सेवा में लगाएं देश का कुछ भला करें तो तर जाएं।
आखिर वह लोग भी कांग्रेस के जिनके पैर कब्र में लटके हुए हैं क्यों चिरकुट-मुद्रा बनाये हुए हैं। सोनिया मायनो के बाद और उसके आगे क्या क्यों इस सवाल से बच रहें हैं।
प्राची साध्वी की आवाज़ ध्यान से सुनो उसने यही सब कहा है। यदि कल को विज्ञान इतना तरक्की कर ले कि सिर्फ डीएनए जांच से यह पता चल जाए कि अमुक व्यक्ति आतंकी है तो ४४ में से ४३ चिरकुट आतंकी ही निकलेंगे। आखिर ये बात तो विज्ञान आज भी चीख चीख के कह रहा है कि बे -वफाई के भी जींस (जीवन इकाइयां ,जीवन खंड )होते हैं। चाकरी चापलूसी के भी।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें