ए मेरे परम प्रिय
मित्रों चर्चा मंचों के ज्ञानियों
रचाना सजना लिखना पढना सब बेमानी हैं
झांक, सेंक,
फेंक, बेचना अर्थहीन कहानी हैं
विचारें हम बाद
वर्ष २० हेतू क्या दे जा रहे
तलाशता रहा
मंचों पर भविष्य बानियों को
शवपरीक्षण
करते मिले समूह ज्ञानियों के
खोजूं वे बानिये
जो बाद वर्ष २० हेतू विचारें
जहाँ न चर्चित
धर्म जाति उपनाम कभी हो
भाटों को, युद्धबर्बरता,
इतिहास को न विचारे
प्राकृतिक रचनाओं
से संग्रहित सीख ध्याये
इतिहास युद्ध
प्यास,अंह-रास न चर्चा हो पायें
जानवरों के संस्करण मानव को मानव बनाये
चर्चा नही ठोस
कदम, भरें ज्ञान नयी पौध में
हो जवां पौध जग
अनुकरण करने लग जावे
बातें छोडें बाद
वर्ष २० के भावी मानव जोडें
अतीत दफनाये
भेदहीन इंसानी गुण अपनायें
ये पथनिर्माता
नौनिहालो में नया ज्ञान फैलाये
विभाजकआधारी
शासन को कही गहरा दफनाये
ताकि वर्ष २०
बाद के भारतीय आदर्श कहलायें
पथिक अनजाना
अच्छा लिखते हैं कभी चेहरा भी तो दिखायें :)
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