किताबों के बोझ तले---पथिकअनजाना—499 वीं
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उन्हें क्या मालुम हैं कि वे किताबों के
बोझ तले सांस लेंगें
तलाश नौकरी की
करेगें साहब गुलामों के मध्य पिसे जावेंगें
नाजोनखरे पत्नी
के उठायें परवरिश करें बच्चों सपने संजोवेंगें
अगली पीढी की
बाट जोहेंगें बेबस हो सांसों का बोझ
ढोयेंगें
बेखबर वे यह कि
जीवन मृत्यु के मध्य भयावह अन्तराल हैं
हर पल जिन्दगी
सवाल ,कशमकश व वक्त में फंसा बेहाल हैं
पथिक अनजाना
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