जमाना सारा कहता हैं मियां आपकी इबादत की उम्र हैं
न देखो करो सुनो कुछ सिर्फ खुदा को
सदा याद करो
मियां हद हई जमाने कि बताये हमें
देखने ही कब दिया
जात पात धर्म कर्म उम्र की कसौटी पर
तुलते रह गये
बेहत्तर होता जामा न लेते हसरतें दफना
जीते हैं यहाँ
कुछ तो बंदिशें खुदाई कुछ समुदायी
बंधन जमाने के थे
कुछ खाईयाँ अनजाने में खोद ली कुछ
अफसाने जो थे
खुदाई किले की दीवालें मजबूत ऊंची
दूजीओर परेशानियाँ
कभी सोच किले में घुसने की कभी
कोशिशें संभलने की
रोजमर्रा कशमकश में जीते नाकामियों के
जाम पीते रहे
कुछ बेपर्दगी जमाने से हुई थामो
दुनिया व्यंग्य न कहे
निभाओ याराना पहले ही बहुत सारे गम
हमने यहाँ सहे
पथिक अनजाना
जात पात धर्म कर्म उम्र की कसौटी पर तुलते रह गये
जवाब देंहटाएंबेहत्तर होता जामा न लेते हसरतें दफना जीते हैं यहाँ
कुछ तो बंदिशें खुदाई कुछ समुदायी बंधन जमाने के थे
कुछ खाईयाँ अनजाने में खोद ली कुछ अफसाने जो थे
..बहुत खूब शेर ..