न कर गम ए दिल जो छीन रहा उस दुनियायी ताज का
न भर दम ए दिल
तुम जीते अपने उस राजसाज का
हुई शाम जिन्दगी
की जल्दी जाओ अपने मालिक दर
वर्ना परेशां
आत्मा होगी पुर्नजर्न्मों के चोले बदलकर
माना कि चले थे
तुम यहाँ हर पग संभल संभल कर
मगर हालात देते
राह तुम्हें गये घेरे तुमको छल बल
उतार फेंको ऐसा
आवरण न जीने दे जो न मरणवरण
मत गर्व करो सफल
तुम्हारे चरण चल रहा चीरहरण
तुमने क्या
कमाया खोया छोडोजाओ राहे सुकर्म शरण
कमाया वह गांठ
में जो खोया अपना नहीतो कैसा भ्रम
पथिक अनजाना
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