शहीदों का बलिदान पुकारता
क्यों रो रही है भारत माता ।
उठो वीर जवान बेटो,
भारत माता का क्लेश मेटो ।
क्यों सो रहे हो पैर पसारे
जब छलनी सीने है हमारे ।
तब कफन बांध आये हम समर,
आज तुम भी अब कस लो कमर ।
तब दुश्मन थे अंग्रेज अकेले
आज दुश्मनों के लगे है मेले ।
सीमा के अंदर भी सीमा के बाहर भी,
देश की अखण्ड़ता तोड़ना चाहते है सभी ।
कोई नक्सली बन नाक में दम कर रखा है,
कोई आतंकवादी बन आतंक मचा रखा है ।
चीन की दादागीरी पाक के नापाक इरादे,
कुंभकरणी निद्रा में है संसद के शहजादे ।
अब कहां वक्त है तुम्हारे सोने का,
नाजुक वक्त है इसे नही खोने का ।
ये जमी है तुम्हारी ये चमन हैं तुम्हारे,
तुमही हो माली तुमही हो रखवारे ।
श्वास प्रश्वास कर दो तुम समर्पण,
तन मन सब मां को कर दो अर्पण ।
सहसिक और अच्छी रचना। बहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएं