अपनी दुनिया में से निकाल कर
एक दिन ऐसा दे दे मुझे...
जिसमें उगता सूरज,
चलता सूरज
और ढलता सूरज
साथ—साथ देखें..
उस रंगीन दिन में
ब्लैक एंड व्हाइट दौर के
गानों की मिठास घुली हो
उस दिन की शुरूआत
सर्दी की सर्द हवाओं सी हो
जिसमें खुशी कोहरा समाया हो
दोपहर पीपल की
छांव में सिमटी हो और
शाम में शहरी गुलाबी रंग
की मिलावट हो
शाम वो कुछ ऐसी हो
जो सिर्फ तेरी और मेरी हो
बस वो एक खास दिन
अपनी ज़िंदगी का दे दे मुझे...
एक दिन ऐसा दे दे मुझे...
जिसमें उगता सूरज,
चलता सूरज
और ढलता सूरज
साथ—साथ देखें..
उस रंगीन दिन में
ब्लैक एंड व्हाइट दौर के
गानों की मिठास घुली हो
उस दिन की शुरूआत
सर्दी की सर्द हवाओं सी हो
जिसमें खुशी कोहरा समाया हो
दोपहर पीपल की
छांव में सिमटी हो और
शाम में शहरी गुलाबी रंग
की मिलावट हो
शाम वो कुछ ऐसी हो
जो सिर्फ तेरी और मेरी हो
बस वो एक खास दिन
अपनी ज़िंदगी का दे दे मुझे...
सुन्दर भाव... बधाई...
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर
हटाएंवो सुबह भी आएगी कभी न कभी ,आस पर ही जीवन टिका है। आशा से भरपूर रचना।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद उपासना जी,
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर
जवाब देंहटाएंजरूर यशोदा जी
जवाब देंहटाएंसुन्दर और भावपूर्ण रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट महिषासुर बध (भाग तीन)
latest post महिषासुर बध (भाग २ )
सुंदर भाव
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अभिवयक्ति.....
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