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सोमवार, 7 अक्टूबर 2013
डा श्याम गुप्त के उपन्यास 'इंद्रधनुष' की समीक्षा..............
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इन्द्रधनुष,
उपन्यास
एक चिकित्सक, शल्य-चिकित्सक जो हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान व उसकी संस्कृति-सभ्यता के पुनुरुत्थान व समुत्थान को समर्पित है व हिन्दी एवम हिन्दी साहित्य की शुद्धता, सरलता, जन-सम्प्रेषणीयता के साथ कविता को जन-जन के निकट व जन को कविता के निकट लाने को ध्येयबद्ध है क्योंकि साहित्य ही व्यक्ति, समाज, देश राष्ट्र को तथा मानवता को सही राह दिखाने में समर्थ है, आज विश्व के समस्त द्वन्द्वों का मूल कारण मनुष्य का साहित्य से दूर होजाना ही है.... मेरी तेरह पुस्तकें प्रकाशित हैं...
काव्य-दूत,काव्य-मुक्तामृत,;काव्य-निर्झरिणी, सृष्टि ( on creation of earth, life and god),प्रेम-महाकाव्य ,on various forms of love as whole. शूर्पणखा काव्य उपन्यास, इन्द्रधनुष उपन्यास एवं अगीत साहित्य दर्पण (-अगीत विधा का छंद-विधान ), ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा काव्य संग्रह), कुछ शायरी की बात होजाए ( ग़ज़ल, नज़्म, कतए , रुबाई, शेर का संग्रह), अगीत त्रयी ( अगीत विधा के तीन महारथी ), तुम तुम और तुम ( श्रृगार व प्रेम गीत संग्रह ), ईशोपनिषद का काव्यभावानुवाद ..
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1.the world of my thoughts श्याम स्मृति...
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बढ़िया प्रस्तुति-
जवाब देंहटाएंनवरात्रि की मंगल कामनाएं-
सादर
धन्य्वाद रविकर....
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज मंगलवार (08-10-2013) मंगलवारीय चर्चा---1292-- वो पंख अब भी संभाले रखे हैं मैंने .... में "मयंक का कोना" पर भी है!
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का उपयोग किसी पत्रिका में किया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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शारदेय नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
धन्यवाद शास्त्रीजी......आभार
हटाएंबहुत बढ़िया जानकारी प्रस्तुति के लिए धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद कविता जी......
हटाएंधन्यवाद शास्त्रीजी, रविकर जी एवं कविता जी....
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