क्या आप जानते हैं आप कौन हैं ?
बच्चो!हमारा शरीर कोशिकाओं का बना है लेकिन हरेक सात साल के बाद हमारे शरीर की सारी कोशाएं (कोशिकाएं ,Human Cells
)बदल
जाती हैं। हमारा शरीर लगातार बदल रहा है आकार में भी। आपके घर में जो एल्बम है उसमें आपके मम्मी -पापा की भी अनेक फोटों
होंगीं, बचपन की किशोरावस्था की ,जब पढ़ते थे तब की,उनकी शादी की और ताज़ा तस्वीरें भी कुछ तो होंगी । आप उनमें साफ़ एक
बदलाव देखते होंगें। दादा जी की तस्वीरों में ये बदलाव और भी ज्यादा साफ़ दिखाई देता होगा। लेकिन एक ऐसी चीज़ भी है हमारे अन्दर
जो कभी बदलती नहीं है। वह आदमी के जीवन के हर चरण में हर स्टेज में एक जैसी रहती है और वह है व्यक्ति की चेतना ,चेतन ऊर्जा
(Non -material energy )इसे दिव्यशक्ति भी कहा जाता है। यह सनातन है। सदा रही है आपके साथ जनम जनम से युगों -युगों से यही
आपके काम करने की शक्ति है। हाथ पैरों में यही चेतना है।
उम्र के साथ शरीर जर्जर क्षीणकाय होता जाता है और एक दिन इस दिव्य ऊर्जा को संभालने में असमर्थ हो जाता है तब यह चेतन ऊर्जा
,जीवन ऊर्जा ,लाइफ़ फ़ोर्स (Life force )शरीर को छोड़ जाती है। शरीर और जीवन ऊर्जा के इस अलगाव को ही मृत्यु कहते हैं।
इस जीवन ऊर्जा को ही आत्मा कहा जाता है। शरीर इसके कपड़े हैं। जैसे आप अपने पुराने वस्त्रों को छोड़ नए ले लेते हो ये आत्मा भी ले
लेती है। यही उसका नया जन्म होता है। यह दिव्य ऊर्जा हमेशा हमेशा जीव के साथ रहती है। रही है और रहेगी। मृत्यु शरीर की होती है।
आत्मा कभी नहीं मरती है। इसे दूसरा शरीर मिल जाता है अच्छे बुरे कर्मों
के हिसाब से।
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