अमन के रथ पर आयी दिवाली, चारों ओर है खुशहाली।
भूल जाओ अब सारे दुःख, लाई है दिवाली ढेरों सुख।
सब अधरों पर मुस्कान पाओ, घर में दीपक तभी जलाओ।
जिस गेह में हो अन्धेरा, उस घर में कर दो सवेरा।
आज की रात कोई न रोए, भूखे पेट कोई न सोए।
रोते हुए बच्चों को हंसाओ, घर में दीपक तभी जलाओ।
अमावस्य की ये काली निशा, दीपों से जगमगाए हर दिशा।
दीपक तो हर घर में जलाए, पर कोई पतंगा मरने न पाये।
पहले किसी का घर सजाओ, घर में दीपक तभी जलाओ।
कहता है दिवाली का त्योहार, आपस में सभी करो प्यार।
मज़हब की सभी दिवारे तोड़ो, मानवता से नाता जोड़ो।
दुशमनों को गले लगाओ, घर में दीपक तभी जलाओ।
भूल जाओ अब सारे दुःख, लाई है दिवाली ढेरों सुख।
सब अधरों पर मुस्कान पाओ, घर में दीपक तभी जलाओ।
जिस गेह में हो अन्धेरा, उस घर में कर दो सवेरा।
आज की रात कोई न रोए, भूखे पेट कोई न सोए।
रोते हुए बच्चों को हंसाओ, घर में दीपक तभी जलाओ।
अमावस्य की ये काली निशा, दीपों से जगमगाए हर दिशा।
दीपक तो हर घर में जलाए, पर कोई पतंगा मरने न पाये।
पहले किसी का घर सजाओ, घर में दीपक तभी जलाओ।
कहता है दिवाली का त्योहार, आपस में सभी करो प्यार।
मज़हब की सभी दिवारे तोड़ो, मानवता से नाता जोड़ो।
दुशमनों को गले लगाओ, घर में दीपक तभी जलाओ।
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