मैं तो 'गिफ्ट' ही दूंगी।
चुनाब का दौर चल रहा है एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप का खेल चालू है। पेपर मीडिया जिधर देखो मनमुटाब ही ज्यादा नजर आ रहा है। मन कि खीझ मिटाने के लिए कुछ हल्का फुल्का जोक का आईडिया बुरा तो नहीं है
सुख आदमी को उतना मिलेगा जितना उसने पुण्य किया होगा
लेकिन शांति आदमी को उतनी ही मिलेगी जितनी उसकी बीवी की मर्ज़ी होगी
पति के जन्मदिन पर पत्नी ने पूछा, क्या गिफ्ट दूँ?
पति: तुम मुझे प्यार करो, इज्ज़त करो और मेरा कहना मानो, यही काफ़ी है।
पत्नी: नहीं मैं तो 'गिफ्ट' ही दूंगी।
मदन मोहन सक्सेना।
चुनाब का दौर चल रहा है एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप का खेल चालू है। पेपर मीडिया जिधर देखो मनमुटाब ही ज्यादा नजर आ रहा है। मन कि खीझ मिटाने के लिए कुछ हल्का फुल्का जोक का आईडिया बुरा तो नहीं है
सुख आदमी को उतना मिलेगा जितना उसने पुण्य किया होगा
लेकिन शांति आदमी को उतनी ही मिलेगी जितनी उसकी बीवी की मर्ज़ी होगी
पति के जन्मदिन पर पत्नी ने पूछा, क्या गिफ्ट दूँ?
पति: तुम मुझे प्यार करो, इज्ज़त करो और मेरा कहना मानो, यही काफ़ी है।
पत्नी: नहीं मैं तो 'गिफ्ट' ही दूंगी।
मदन मोहन सक्सेना।
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