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सोमवार, 4 नवंबर 2013

दीपावली की असीम श्‍ाुभकामना (गीतिका छंद)

दीप पावन तुम जलाओ, अंधियारा जो हरे ।
पावन स्नेह ज्योति सबके, हृदय निज दुलार भरे ।
चन कर्म से पवित्र हो, जीवन पथ नित्य बढ़े ।
लीन हो ध्येय पथ पर, नित्य नव गाथा गढ़े ।

कीजिये कुछ परहित काज, दीन हीन हर्षित हो ।
श्रु न हो नयन किसी के, दुख दरिद्र ना अब हो ।
सीख दीपक से हम लेवें, हम सभी कैसे जियें ।
न सभी निर्मल रहे अब, हर्ष अंतर्मन किये ।

शुभ करे लिये शुभ विचार, मानव का मान करे ।
टक ना जाये मन राह, अधर्म कोई न करे ।
कायम हो शांति जगत में, विश्व बंधुत्व अब हो ।
नुज मन उमंग जगावे, मंगल हर जीवन हो ।

नाना खुशी बरसावे, जगमग करते  दीप ।
दीप पर्व की कामना, हर्षित हो मन  मीत ।।

- रमेशकुमार सिंह चौहान
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4 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज मंगलवार (05-11-2013) भइया तुम्हारी हो लम्बी उमर : चर्चामंच 1420 पर भी होगी!
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    दीपावली के पंचपर्वों की शृंखला में
    भइया दूज की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    उत्तर
    1. दीप पर्व की शुभकामना सहित रचना को मान देने के लिये सादर आभार

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  2. शुभ भाव से प्रेरित सुन्दर सरल रचना उत्सव सप्ताह की वेला में।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. दीप पर्व की शुभकामना सहित रचना को मान देने के लिये सादर आभार

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