श्याम स्मृति-......खाली पेट नहीं रहा होगा ....
मैं यह नहीं
कहूँगा कि हमारे
पुरखों ने वायुयान
बना लिए थे, वे
भी ऊपर के
लोकों को जा
चुके थे, आज
के नवीन अस्त्र-शस्त्र
भी उनके समय
में थे | परन्तु
पुष्पक विमान से
उड़ने की कल्पना
कर सकने वाला
समाज निश्चय ही
खाली पेट नहीं
रहा होगा ...रोटी, कपड़ा
और मकान की
समस्या हल कर
चुका होगा |
श्याम स्मृति.....आज का युवा व युग परिवर्तन....
मैं
यह स्पष्ट देख
रहा हूँ कि
युग परिवर्तन होने वाला है, परिवर्तन
होकर रहेगा | आज का सामान्य युवक प्रायः
बुराई से , अन्याय
से, असत्य से, भ्रष्टाचार
से लडने की
असफल कोशिश कर
रहा है, परन्तु
कल का युवक , जो आज किशोर है , टीनेजर है....निश्चय
ही बुराई से
घृणा करता है | आज की नारी ...स्त्री स्वतंत्रता
की पक्षपाती तो
है परन्तु उसके
अंतर में अभी
स्वयं प्रश्न वाचक
चिन्ह है | पर
कल की नारी
को निश्चय ही
घर से बाहर
सेवा, सर्विस व
नग्नता से एवं
नारी की पुरुष
से श्रेष्ठता के
गान से घृणा
होगी | यह होने
वाला है ...यदि
कल नहीं तो
परसों ..| यद्यपि जिस प्रकार अन्धकार शाश्वत है उसी प्रकार असत्य
व अनय भी सम्पूर्ण विनष्ट नहीं होते ..कालचक्र की नियति तो वही जानता है
|
श्याम स्मृति ...... वही जीता है ....
"जो अतीत
की सुहानी गलियों
की स्मृतियों के
परमानंद , भविष्य की
आशापूर्ण कल्पना
की सुगंधि के
आनंद एवं
वर्तमान के
सुख-दुःख-द्वंद्वों
से जूझने के
सुखानंद की
साथ जीता है...वही
जीता है |"
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बुधवार को (20-11-2013) जिन्दा भारत-रत्न मैं, मैं तो बसूँ विदेश : चर्चा मंच 1435 में "मयंक का कोना" पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
धन्यवाद शास्त्रीजी...
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