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रविवार, 11 मई 2014

दर्द के रिश्ते से बंधे-पथिकअनजाना-598 वीं पोस्ट

दर्द के रिश्ते से बंधे-पथिकअनजाना-598 वीं पोस्ट
अतीत वर्तमान की पारिवारिक ईकाइयों को देखा.हैं
वास्तविक परिवार कर्ता के सच्चे शिष्य का लेखा.है
घूमफिर जाँचा परखा गहराई में मैंने पाई इक रेखा
विचारा तो पाया धर्मपरायण पत्नी इसकी हकदार.हैं
वह अपवादित दंपत्ति गर फर्ज न अपने निभाते हो
गुरू दी शिक्षा नही निभापाता शिष्य निभा जाता हैं
मुख से कुछ बोले दर्द के रिश्ते से बंधे दोनों होते हैं
नही सीखते जो अपवादियों की कहानी से वो रोते हैं
जानिये हमराहियों कौन जो जीवन शांति को खोते हैं
अहंकार न करें मर्दानगी या हुस्न का बीज यू बोते हैं

पथिक अनजाना

1 टिप्पणी:

  1. गुरू दी शिक्षा नही निभापाता शिष्य निभा जाता हैं
    मुख से कुछ बोले दर्द के रिश्ते से बंधे दोनों होते हैं
    नही सीखते जो अपवादियों की कहानी से वो रोते हैं

    सच्ची सुंदर कविता।

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