लगाया
नही कभी अपने हाथों से मय का जाम
तो मैं क्या जानू यारों मय का
शरूर क्या होता हैं
लेकिन यकीन हें मुझे पीकर
जमाने के हालतों को
जिन्दगी में मुसीबतों का
बडा वजूद क्या होता हैं
सच्ची मुस्कान चेहरे पर बडा
सबूत क्या होता हैं
अनजानी नजरों से देखो
दुनिया को जीने का नाम
मत पीना जाम दोंनों बुरे
यही तजुर्बों की शाम हैं
पथिक अनजाना
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