विश्वतम्बाकू दिवस ३१ मई के लिए ख़ास
पोस्ट
सिगरेट से होने वाली नुकसानी को कम करने का एक उपाय और विकल्प ई -सिगरेटों के रूप में गत शती का एक महत्वपूर्ण नवप्रवर्तन (नव उपाय )था। सिगरेट आदमी निकोटिन के चस्के से बंधा पीता है मरता सिगरेट के धुएं से है जिसमें तम्बाकू के जलने से तम्बाकू जैसा ही एक पदार्थ पैदा होता है टार। यही वह पदार्थ है जो फेफड़ा कैंसर की वजह बनता है अलावा इसके तम्बाकू के उच्चतरतापमान पर जलने से (ऐसा सिगरेट में प्रयुक्त कागज़ और तम्बाकू के एक साथ जलने से दहन से कंबश्चन से होता है )अनेक कैंसर समूह के रोग पैदा करने वाले कार्सिनोेजन पैदा होते हैं। जो सेकिण्ड कैंसर की वजह भी बनते हैं। (सेकिण्ड कैंसर प्राथमिक कैंसर उपचार के छ :माह के भीतर भी हो सकता है ,यह कैंसर के स्थान बदल मेटास्टेसिस से अलग होता है ).
माहिरों का मानना ई -सिगरेट जैसे विकल्प आज़माये जाने चाहिए जो इस सदी में होने वाली तकरीबन एक अरब मौतों को मुल्तवी रखने का साधन बन सकते हैं। ऐसा ही एक और उपाय है। snus .बताते चलें फिलवक्त दुनिया भर में १. ३ अरब लोग धूम्रपान करते हैं भारत की स्वप्न नगरी मुंबई में स्मोकर्स अब पहले से ज्यादा सिगरेट प्रतिदिन पी रहे हैं। यह एक खतर्नाक स्थिति है कैंसर होने पर इलाज़ के पैसे नहीं निक्लेंगे घर से। पढ़िए इसी विषय पर एक व्यापक रिपोर्ट तम्बाकू निषेध दिवस पर :एक गोपनीय दस्तावेज़ के प्रकटीकरण से विश्वस्वास्थ्य संगठन की ई -सिगरेटों पर रोक लगाने की मंशा सामने आई है। यदि ऐसा होता है तो यह दुर-भाग्यपूर्ण कदम होगा जिसका आधार ई -सिगरेटों के मुताल्लिक गलत जानकारी बनेगी जिसके तहत कहा गया था की ये भी उतनी ही नुकसानी का सबब बनती हैंजितना रेगुलर सिगरेटें । माहिर इसकी तस्दीक नहीं करते हैं :
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें