मित्रों! आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
फ़ॉलोअर
शनिवार, 3 मई 2014
अपना परिचय - चार पंक्तियाँ
22 मई 1970 को मेरा लोकार्पण हुआ. मेरी नादानियों और शरारतों के बावजूद माता पिता के अनथक प्रयासों ने मुझे इंसान बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. वे कितने कामयाब हुए मैं नहीं बता सकता..होश संभाला तो खुद को, आधी अधूरी शिक्षा के साथ, दुनिया के चौराहे पर खडा पाया. 'कुछ' बनने की कोशिश में कुछ भी ना बन पाया. 'साहित्यकार' होने की कोशिश थी 'बेकार' हो गया...और नतीजा कान में कलम लगाकर पेट पालने की कोशिशों में व्यस्त हो कर रह गया...दिल के किसी कोने का अधमरा शायर जब अंगडाई लेता है तो एक हिचकी के साथ कुछ शब्द यक-ब-यक निकल पड़ते हैं...बस वही आपके साथ बाँट रहा हूँ..ना जाने कब ये शायर दम तोड़ दे, या आपका प्यार पाकर जी ही उठे..!!!
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
बहुत बढ़िया !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (04-05-2014) को "संसार अनोखा लेखन का" (चर्चा मंच-1602) पर भी होगी!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
bahut bahut abhar sir..!!
जवाब देंहटाएं