संस्कार विचार,प्यार गये सब हार 438 वीं पोस्ट
शिक्षा,संस्कार,विचार,व प्यार गये सब
हार
स्वार्थ का बिगुल जब बजा बन्द हुये
व्दार
अतीत खोया वर्तमान रोया भविष्य न संवरे
पढी पोथियाँ खेली गौंटिया विचार बने
कहार
न विचारो झूठे मान खातिर कहानी बनी हमार
हमेशा भटके इंसा खोला न जावे सुकर्म
व्दार
रहनुमां अनेक, सुनी न, उनकी बनायो मजार
मूर्खता लगाई गले न कर सके ऐसे व्यापार
लुटायो सब, हुये जगहंसाई के हमरे
व्यवहार
क्या मुंह दिखायेंगे खुदाई या
दुनियायी दरबार
पथिक अनजाना
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