एक आम भारतीय सरकारी क्लर्क बनने जाता है
परीक्षा पर परीक्षा उसको नित्य देना पड़ जाता है
सरकारी क्लर्क बनने से पहले उसकी राते तैयारी में गुजर जाती है
तब उसकी तृतीय श्रेणी के कर्मचारी बनने की इच्छा पूरी हो पाती है
भारत में केवल सरकारी नौकरी के लिए इतना प्रयास किया जाता है
अपने को तृतीय श्रेणी का कर्मचारी बनाने के लिए तैयार किया जाता है
किन्तु जब सरकार बनाने की बारी आती है
तो ऐसी परीक्षा उनके लिए लागू नहीं की जाती है
नेता बनने के लिए योग्यता का कोई निश्चित मापदण्ड नहीं होता है
केवल जनता को मुर्ख बनाकर मत एकत्र करने का गुण निश्चित होता है
सरकारी नौकरी वाले को साठ वर्ष में सन्यास मिल जाता है
राजनीति में जान चली जाती है किन्तु सत्ता का मोह नहीं छुट पाता है
युवा वर्ग जो देश का वर्तमान कहलाते हैं
वास्तव में वो देश का भविष्य बन जाते हैं
भारत के बुजुर्ग नेता सत्ता में खाली स्थान नहीं कर पाते हैं
युवाओं को केवल मत प्रयोग करने के लिए ही उकसाते हैं
मेरा भारत लाचार बूढ़े हाथों में जब आ जाता है
वो भी दिन पर दिन लाचार बुढा होता जाता है
देश के इतिहास, भूगोल, आर्थिक सिथति का उन्हें ज्ञान नहीं होता
सत्ता के लोभी नेता को अपने कर्तव्य परायणता का ध्यान नहीं होता
यदि इनका साक्षात्कार हो जाये और इनसे ये प्रश्न पूछ लिया जाये
राम रहीम कैसे एक हो सकते हैं तो उत्तर में इनकी बोलती बंद हो जाये
मेरे हृदय की तमन्ना है मेरे सपनो का नेता मेरे देश को मिल जाये
जिसे हर सम्प्रदाय,भारतीय भाषा का उच्चतम ज्ञान हो वो नेता बन जाये
जिसमे दया, प्रेम, त्याग, उच्च आदर्श, देशभक्ति विकसित हो
जिसे वर्तमान सिथति का गूढता से ज्ञान हो वही मेरे देश का नेता हो
बहुत सुन्दर लिखा है आपने !
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट मेरे सपनो के रामराज्य (भाग तीन -अन्तिम भाग)
नई पोस्ट ईशु का जन्म !
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज रविवार (29-12-13) को शक़ ना करो....रविवारीय चर्चा मंच....चर्चा अंक:1476 में "मयंक का कोना" पर भी है!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'