मित्रों!

आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं।

बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए।


फ़ॉलोअर

बुधवार, 25 दिसंबर 2013

शासन का मशविरा ---- पथिक अनजाना






                                              शासन का  मशविरा ---   पथिक अनजाना
   जाने वक्त कैसा आगया या भूले से मैं यहाँ आ गया
   शासन मशविरा देता अब प्रकाशकों व उदघोषकों को
   स्थान नहीं दो न्यायपालिका व शासन विरूढ रोष को
   आखें खुली, कान खुले जुबान बन्द व लिखना मना हैं
   तमाशबीनों से भरी दुनिया में खुदा भी हुआ अनबना हैं
   चन्द  सिरमौर्य जय-योग्य , शेष सुलझे लोग रोग हैं
   संघर्षशील नई पौध की रचनायें होती गैरों के भोग हैं
   भावार्थ न समझे जनहित न समझें कहलाते योग्य हैं
   पथिक अनजाना
   http://pathic64.blogspot.com


          
    

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें