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मंगलवार, 31 दिसंबर 2013

"नये साल का सूरज" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

मैं नये साल का सूरज हूँ,
हरने आया हूँ अँधियारा।
 मैं स्वर्णरश्मियों से अपनी,
लेकर आऊँगा उजियारा।।

चन्दा को दूँगा मैं प्रकाश,
सुमनों को दूँगा मैं सुवास,
मैं रोज गगन में चमकूँगा,
मैं सदा रहूँगा आस-पास,
मैं जीवन का संवाहक हूँ,
कर दूँगा रौशन जग सारा।
लेकर आऊँगा उजियारा।।

मैं नित्य-नियम से चलता हूँ,
प्रतिदिन उगता और ढलता हूँ,
निद्रा से तुम्हें जगाने को,
पूरब से रोज निकलता हूँ,
नित नई ऊर्जा भर  दूँगा,
चमकेगा किस्मत का तारा।
लेकर आऊँगा उजियारा।।

मैं दिन का भेद बताता हूँ,
और रातों को छिप जाता हूँ,
विश्राम करो श्रम को करके,
मैं पाठ यही सिखलाता हूँ,
बन जाऊँगा मैं सरदी में,
गुनगुनी धूप का अंगारा।
लेकर आऊँगा उजियारा।।

मैं नये साल का सूरज हूँ,
हरने आया हूँ अँधियारा।।

4 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर नव वर्ष मंगलमय हो ....

    जवाब देंहटाएं
  2. नववर्ष 2014 सभी के लिये मंगलमय हो ,सुखकारी हो , आल्हादकारी हो

    जवाब देंहटाएं
  3. आपको भी सपरिवार शुभ वर्ष शुभ भावनाएं समर्पित नव वर्ष स्वागतार्थ।

    सभी मुखचिठियों को नया वर्ष करता है प्रणाम ,लाये शुभ भावना और मंगल हर दिन।

    मैं दिन का भेद बताता हूँ,
    और रातों को छिप जाता हूँ,
    विश्राम करो श्रम को करके,
    मैं पाठ यही सिखलाता हूँ,
    बन जाऊँगा मैं सरदी में,
    गुनगुनी धूप का अंगारा।
    लेकर आऊँगा उजियारा।।

    अति उत्कृष्ट रचना नए साल का सूरज।

    जवाब देंहटाएं