समाज का स्वरूप चंद लोग ही बदलते हैं
जैसे सूरज अकेले ही जग में उजाला भरते हैं
एक ही शक्ति समाज को चलाती है
नेता के रूप में हमारे सामने आती है
इनमे से कुछ नेता बुराई का नेतृत्व करते हैं
देश,समाज,संस्कृति को खोखला करते हैं
एक तरफ तो सफ़ेद पोश बनकर सत्संग करते हैं
दूसरी तरफ ये जमाखोरों से विवाह करते हैं
जमाखोरी दुल्हन बन देश में आती है
भष्टाचार,रिश्वत को दहेज़ में लाती है
महंगाई को जन्म देकर दुःख की जननी बन जाती है
देश में भुखमरी,गरीबी बसेरा कर जाती है
इससे निपटने में जनता एडी से चोटी तक का बल लगाती है
फिर भी दुखो के सागर से पार नहीं पाती है
पेट के लिए जनता दिन रात जुटी रह जाती है
रिश्ते,संस्कार,प्यार ताक पार रखकर धन के पीछे दौड़ती जाती है
हर तरफ ये शोर सुनाई दे रहा है
समाज इंसानों का नहीं मशीनों का बन रहा है
त्याग,प्रेम, अपनापन सब समाप्ति की ओर अग्रसर हो रहा है
लालच कालसर्प की तरह आदर्श समाज को निगल रहा है
इसको बचाने के लिए अच्छे इंसान को नेता बनाओ
अपना धन सरकार के हाथ में देकर नुक्सान न उठाओ
अपने नगर की भलाई के लिए स्वंय सहायता समूह बनाओ
धन देकर अपनी जिम्मेदारी से मुक्ति मत पाओ
जैसे सूरज अकेले ही जग में उजाला भरते हैं
एक ही शक्ति समाज को चलाती है
नेता के रूप में हमारे सामने आती है
इनमे से कुछ नेता बुराई का नेतृत्व करते हैं
देश,समाज,संस्कृति को खोखला करते हैं
एक तरफ तो सफ़ेद पोश बनकर सत्संग करते हैं
दूसरी तरफ ये जमाखोरों से विवाह करते हैं
जमाखोरी दुल्हन बन देश में आती है
भष्टाचार,रिश्वत को दहेज़ में लाती है
महंगाई को जन्म देकर दुःख की जननी बन जाती है
देश में भुखमरी,गरीबी बसेरा कर जाती है
इससे निपटने में जनता एडी से चोटी तक का बल लगाती है
फिर भी दुखो के सागर से पार नहीं पाती है
पेट के लिए जनता दिन रात जुटी रह जाती है
रिश्ते,संस्कार,प्यार ताक पार रखकर धन के पीछे दौड़ती जाती है
हर तरफ ये शोर सुनाई दे रहा है
समाज इंसानों का नहीं मशीनों का बन रहा है
त्याग,प्रेम, अपनापन सब समाप्ति की ओर अग्रसर हो रहा है
लालच कालसर्प की तरह आदर्श समाज को निगल रहा है
इसको बचाने के लिए अच्छे इंसान को नेता बनाओ
अपना धन सरकार के हाथ में देकर नुक्सान न उठाओ
अपने नगर की भलाई के लिए स्वंय सहायता समूह बनाओ
धन देकर अपनी जिम्मेदारी से मुक्ति मत पाओ
बहुत सुन्दर और प्रेरक अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएं--
आपका ब्लॉग में आपका स्वागत है।
धन्यवाद आपका
जवाब देंहटाएंलिखती रहें अच्छा है :)
जवाब देंहटाएंबस आपका आशीर्वाद चाहिए
हटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बृहस्पतिवार (26-12-13) को चर्चा - 1473 ( वाह रे हिन्दुस्तानियों ) में "मयंक का कोना" पर भी है!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत अच्छा किया ,समाज की कुंडली बना डाली -उपमा लाजवाब |
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट मेरे सपनो के रामराज्य (भाग तीन -अन्तिम भाग)
नई पोस्ट ईशु का जन्म !
धन्यवाद
हटाएं