मारते पथ्थर अपने पहले--- ४२६ वी पोस्ट
पूछ रही है तुम्हारी निगाहें
बस
दिल में मात्र इक सवाल है
तुम्हारे
प्रति मानव गैर या
अपनों
के दिल में क्या ख्याल है
प्राय:
पाया अपने सबसे पहले
पथ्थर
मारते व उपहास करते हैं
सीख न बनना अपना
कभी तुम
यारों
इसका जवाब नही हैं गुम
अपने
इस अजीब सवाल का
अपने
गुणों अवगुणों का गर
निष्पक्षता
से विश्लेषण अवलोकन
स्वतः
के मष्तिक के अन्तिम
भाग
से तुम्हें हल मिल जावेगा
पथिक
अनजाना
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बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज सोमवार (23-12-13) को "प्राकृतिक उद्देश्य...खामोश गुजारिश" (चर्चा मंच : अंक - 1470) पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'