हर तमाशा आमीन -----४२४ वीं पोस्ट
मेरी
माशूका ने कहा काव्यक्षेत्र क्यों हुआ महत्वहीन हैं
मैंने
कहा यही वह क्षेत्र हैं जो दुनिया को जीवनदीन हैं
राज
,व धर्म नेतृत्व विधिवेत्ता ग्रहण ग्रस्त
हो गये
पत्रकार,व
सुधारक धन व घुंघरूओं में मस्त हो गये
कविता
रचियता मतवाले जो निर्भिक मस्ती में लीन हैं
धुआं
यहाँ से नही हैं जहाँ से उठ रहा वह महत्वहीन हैं
जनता
का दर्द पहचानो कवि बने क्यों तमाशबीन हैं
दर्द
सह जनता तो भी हर तमाशे को कहती आमीन हैं
पथिक
अनजाना
http://pathic64.blogspot.in
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज रविवार (22-12-13) को वो तुम ही थे....रविवारीय चर्चा मंच....चर्चा अंक:1469 में "मयंक का कोना" पर भी है!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'