दो साहिल नफरत व मुहब्बत (436 वीं पोस्ट )
मानवीय
जीवन में सदैव से हावी
दो साहिल नफरत व मुहब्बत हैं
अपनी
सारी जिन्दगी में ये इंसान
दोनों
साहिलों से चाहे अनचाहे वह
कर्मों
व किस्मत से किसी न किसी
कारणवश
रूबरू या अन्य कोण से
अन्तत:
बेचारा टकरा ही जाता हैं
गर
खुश हुआ तो योजना अपनी
गर
मायूसी लगी सारा दोष गैरों पर
झलक
ही जाती रेखायें चेहरों पर
लेते
सांस ताडने वालों के पहरों पर
लगता
जीते दुनियायी मेहरों पर हैं
पथिक
अनजाना
अच्छा है :)
जवाब देंहटाएंसुन्दर !
जवाब देंहटाएंनया वर्ष २०१४ मंगलमय हो |सुख ,शांति ,स्वास्थ्यकर हो |कल्याणकारी हो |
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