धन्य हैं वो---४२१ वीं
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धन्य है वो जो दुनिया में परिवार
प्रमुख
की भूमिका निबाह जिये है
संलग्न
रहते दुनिया व परिवार
के
लोग बेआबरू करने के लिये है
अन्दाज
लगायें कशमकश का इन
रक्षकों
के अणु परमाणु होते है
परमाणुं
के अनचाहे विभाजनों में
भूमिका
प्रमुख को निभानी होती है
मिले
न राह बाद विभाजनों के जवाब
चाहने
वालों की भीड खडी होती है
पथिक
अनजाना
http://pathic64.blogspot.in
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शुक्रवार (20-12-13) को "पहाड़ों का मौसम" (चर्चा मंच:अंक-1467) पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'