मेरी कविताओं के झरोखे से ................
लाड़ली चली !!!
बाबा की दहलीज लांघ चली
वो पिया के गाँव चली
बचपन बीता माँ के आंचल
सुनहरे दिन पिता का आँगन
छूटे संगी सहेली बहना भैया
मिले दुलारी को अब सईंया
मीत चुनरिया ओढ़ चली
बाबा की ...........
माँ की सीख पिता की शिक्षा
दुलार भैया का भाभी की दीक्षा
सखियों का स्नेह लाड़ बहना का
वो रूठना मनाना खेल बचपन का
भूल सब मुंह मोड चली
वो पिया के ...............
परब त्योहार हमको बुलाना
कभी तुम न मुझको भुलाना
साजन संग मै आऊँगी
खुशियाँ संग ले आऊँगी
वो लाड़ली चली
बाबा की ..................
लाड़ली चली !!!
बाबा की दहलीज लांघ चली
वो पिया के गाँव चली
बचपन बीता माँ के आंचल
सुनहरे दिन पिता का आँगन
छूटे संगी सहेली बहना भैया
मिले दुलारी को अब सईंया
मीत चुनरिया ओढ़ चली
बाबा की ...........
माँ की सीख पिता की शिक्षा
दुलार भैया का भाभी की दीक्षा
सखियों का स्नेह लाड़ बहना का
वो रूठना मनाना खेल बचपन का
भूल सब मुंह मोड चली
वो पिया के ...............
परब त्योहार हमको बुलाना
कभी तुम न मुझको भुलाना
साजन संग मै आऊँगी
खुशियाँ संग ले आऊँगी
वो लाड़ली चली
बाबा की ..................
सुंदर !
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 26-12-2013 को चर्चा मंच की चर्चा - 1473 ( वाह रे हिन्दुस्तानियों ) पर दिया गया है
जवाब देंहटाएंकृपया पधारें
आभार
लाडली को एक दिन पिया के घर जाना ही है !
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना !
नई पोस्ट मेरे सपनो के रामराज्य (भाग तीन -अन्तिम भाग)
नई पोस्ट ईशु का जन्म !