दुनिया का नायाब जीव ४३३
देखता प्रकृति कमाल क्या
नायाब
जीव बनाया इंसान
मजाक
नही हो गंभीर हैरां हुंआ मान गया इंसान को
न
समझ सका मैं मूढ कि यह किस श्राप की उपज हैं
इसी
को कर केन्द्रित रची सारी पाप पुण्य की दुनियाहैं
इसां
के पाप पुण्यों के कारण युगों से यहाँ जंग जारी हैं
अनेकों
रूप अनेकों चमत्कार दिखाये इंसा बाज न आये
दुविधायें
दूर करने के बावजूद, सुविधायें मुहैया बावजूद
कोशिशें
लाख अथक प्रयास स्थायी रूपेण गंगा लाई गई
न
ललचाया, डगमगाया न भला समझा अपना न सोचा
सदैव
बैठता गोद में शैतान की जो उसको भाये सुखाये
असफल
प्रयास खुदा के इंसा को खुदापरस्त न बना सके
इंसान
प्रयासरत हैं खुदा को परास्त करने हेतू सृष्टि में
अति
के इंतजार में हम भी किन्तु कोशिश नये सेतू हेतू
पथिक
अनजाना
बढ़िया प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट मेरे सपनो के रामराज्य (भाग तीन -अन्तिम भाग)
नई पोस्ट ईशु का जन्म !
अच्छा है !
जवाब देंहटाएंअपने ही श्राप का मारा
जवाब देंहटाएंहै यह इंसान बेचारा |
पाप-पुण्य का यह जग,
इंसान को लगता प्यारा |