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बुधवार, 30 अक्तूबर 2013

अजीब बात ये है माँ बाप अपने ही लाडलों को भूत प्रेत के लिबास में बाहर छोड़ देते हैं। पड़ोस में ये स्वांग भरते हुए कैंडी मांगने पहुँच जाते हैं

ये कोई आज की बात नहीं हैं बरसों से हताशा ,बेचैनी और मानसिक परेशानी का सबब बनता रहा है हेलो -ईवनिंग अप 

-भ्रंश रूप हेलोवीन। सोलहवीं शती के मध्य में भारोपीय परिवार के लोग केंद्रीय और पश्चिमी योरोप में रहते थे। इस इलाके को पहले आयरलैंड ,स्काटलैंड ,आदि की भाषा भाषी क्षेत्र कहा जाता था। आज ये समूचा क्षेत्र संयुक्त किंगडम के रूप में जाना जाता है। ये लोग अक्टूबर माह के अंत में नव वर्ष उल्लास पूर्वक मनाते थे। ग्रीष्म को अलविदा कह शरद के स्वागत का समय होता था यह जब रबी की फसल काट ली जाती थी खरीफ की बोई जाती थी। जन विश्वास था इस संक्रमण  काल की बेला  में प्रेतात्माएं मनुष्य आत्मओं के बीच में रिल  मिलने का प्रयत्न करतीं हैं। उनसे बचे रहने के लिए लोग डरावने मुखौटे और लिबास पहनने लगे उनके निमित्त मिष्ठान्न कैंडी घर के बाहर रखने लगे। 

इसी खौफ और अनचीन्हें भय का रूपांतरण है हेलोवीन।

अजीब बात ये है माँ बाप अपने ही लाडलों को भूत प्रेत के लिबास में बाहर छोड़ देते हैं। पड़ोस में ये स्वांग भरते हुए कैंडी मांगने पहुँच जाते हैं। 

मनोविज्ञानियों के अनुसार कई नौनिहाल इस अनचीन्हें हमले के लिए तैयार नहीं होते हैं उनके चित्त पर इसके दुष्प्रभाव पड़ते हैं जो दूर तक जाते हैं। एक कब्रिस्तान रचा जाता है इनके गिर्द। मौत के अदृश्य जाल से यह इनका पहला परिचय होता है। हालाकि इन्हें किसी की मृत्यु के वक्त शव को सुपर्दे ख़ाक के लिए ले जाते वक्त  दूर रखा जाता है। कई घरों के तो बाहर बनाये गए कब्रिस्तान पर यह लिखा होता है एक बोर्ड पर -आओ अब तुम्हारी बारी है।संगीत भी भूतहा (हेलोवीन म्युज़िक )चलता रहता है। अमरीका में शाम का अपना मौन और वीराना होता है यहाँ जन संकुलता तो है नहीं एक डिविज़न में चंद लोग  ही  होते हैं। सब अपने अपने घरों में बंद। ऊपर से भूतहा माहौल। 

बच्चों के लिए रीअल और वर्चुअल वर्ल्ड में अंतर कर पाना मुश्किल होता है ये घर के बाहर लटके नर कंकालों को ,भूतहा मुखौटों को असली माल लेते हैं। बाल यौन प्रेमी भी इस मौके पे घात लगाये घूमते  रहते हैं।    

It is the adults who should be afraid this Halloween. Not of ghouls and goblins, but of psychologically scarring their children.


In a recent study of 6- and 7-year-olds in the Philadelphia area, Penn State psychologist Cindy Dell Clark found that most parents underestimate just how terrifying the holiday can be for young kids.

Halloween has been scaring the heck out of kids of all ages for centuries.

Two thousand years ago, Celts living in what is now the United Kingdom celebrated their new year at the end of October. During these days of transition from the end of summer harvest to the beginning of winter, spirits were thought to roam among the living.

The modern customs of candy and costume are rooted in medieval England. To avoid being recognized by the visiting spirits, people would dress up in masks whenever they left home. Bowls of food were placed outside to keep the ghosts happy. The practices have morphed into Halloween as it is known today, with parents encouraging their own little ghosts and goblins to haunt the neighborhood.

Unwilling participants? There have been few studies to examine how the holiday affects children. Child psychologists generally caution parents that the fright of some aspects of Halloween can be too much for the very young, and advise adults to keep a close eye on children and remind them of what is real and what is not.

According to Clark, who interviewed parents and children after three Halloweens, younger children may be unwilling participants in the whole ritual.

The key ingredient in the recipe of Halloween fright is, of course, death.

"Intriguingly, Halloween is a holiday when adults assist children in behaviors taboo and out of bounds," Clark writes in the anthropological journal Ethos. "It is striking that on Halloween, death-related themes are intended as entertainment for the very children whom adults routinely protect."

For most kids, at an age when they're often not included in family funerals or witness to grave illnesses, Oct. 31 is often their first introduction to the subjects.

Too tender for tombstones? Halloween also provides an opportunity for adults to confront usually uncomfortable topics like death, Clark told LiveScience.  Kids as young as 6 and 7, however, don't differentiate between real death and the store-bought skeleton figures hanging in the trees and fake tombstones on the grass.
"Children see things on a real plane, as opposed to adults, who are trying to get around real themes like death by treating them as fun," she said.

Conducting her study, Clark observed young children cowering from fear in front of the haunted displays and graveyard scenes common in so many American neighborhoods at Halloween.

Children interpret the frights of Halloween differently depending on their personal situations, such as the recent death of a relative or pet. An especially harrowing Halloween experience might have long-lasting effects. She recalled an interview with a grown woman who described trick-or-treating at age 8: A well-intentioned neighbor invited the girl inside, only to scare her and a friend with a real coffin displayed in the living room.

"She hasn't enjoyed Halloween since," Clark said.






Image: Halloween in Hong Kong
Vincent Yu  /  AP file
A group of children pose near a pumpkin display as part of the Halloween decorations outside a Hong Kong shopping mall.

1 टिप्पणी:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बृहस्पतिवार (31-10-2013) "सबसे नशीला जाम है" चर्चा - 1415 में "मयंक का कोना" पर भी होगी!
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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