तेरे बग़ैर भी कोई तो ज़िन्दगी होगी
चिराग़-ए-याद से राहों में रोशनी होगी
कहा था तुमने हमेशा जो साथ देने का
ये बात मैने ही तुमसे ग़लत सुनी होगी
निगाह-ए-शौक़ से मैं हर्फ़ हर्फ़ पढ़ लूँगा
लबों पे बात जो आ कर रुकी रुकी होगी
यहाँ से ’तूर’ बहुत दूर है मेरे ,जानाँ !
कलाम उनसे कि तुमसे ,वफ़ा वही होगी
सितम का दौर भी इतना न आजमा मुझ पर
अगर मैं टूट गया फिर क्या आशिक़ी होगी !
तमाम बन्द भले हो गए हों दरवाजे
मगर उमीद की खिड़की तो इक खुली होगी
कहाँ कहाँ न गया चाह में तेरे ’आनन’
मेरे जुनूँ की ख़बर क्या तुझे कभी होगी ?
-आनन्द.पाठक-
चिराग़-ए-याद से राहों में रोशनी होगी
कहा था तुमने हमेशा जो साथ देने का
ये बात मैने ही तुमसे ग़लत सुनी होगी
निगाह-ए-शौक़ से मैं हर्फ़ हर्फ़ पढ़ लूँगा
लबों पे बात जो आ कर रुकी रुकी होगी
यहाँ से ’तूर’ बहुत दूर है मेरे ,जानाँ !
कलाम उनसे कि तुमसे ,वफ़ा वही होगी
सितम का दौर भी इतना न आजमा मुझ पर
अगर मैं टूट गया फिर क्या आशिक़ी होगी !
तमाम बन्द भले हो गए हों दरवाजे
मगर उमीद की खिड़की तो इक खुली होगी
कहाँ कहाँ न गया चाह में तेरे ’आनन’
मेरे जुनूँ की ख़बर क्या तुझे कभी होगी ?
-आनन्द.पाठक-
09413395592
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