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अंततः कहना चाहूँगा कि -
कम से कम सुपरफास्ट ट्रेनों में तो बिना आरक्षण सफर बंद ही कर देना चाहिए. इंटरनेट पर बुक की गई टिकटों को – गाड़ी विशेष के मंजिल पर पहुँचने के बाद ही स्वतः निरस्त होना चाहिए . वेईटिंग वाले यात्री खिड़की टिकटों की तरह सफर कर सकना चाहिए. रेलवे के पास-पीटीओ धारकों के लिए भी इंटरनेटपर आरक्षण की सुविधा होनी चाहिए.
बात रही अन्य जन सुविधाओं की रेलवे के चाहिए कि अपने बातों से नहीं काम से बताए कि सुविधाएं बढ़ रही हैं.
अच्छा होगा कोई रेलवे विभाग का कर्मचारी इसे प्रभु या फिर महाप्रभु तक पहुचाने में मदद करे. देखें कही जूँ भी रेंगती है या नहीं.
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