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बुधवार, 24 जून 2015

"पाँच हायकु" (अमन चाँदपुरी)

"पाँच हाइकु"
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1.
नन्हीं गौरैया
कमरे में आते ही
पंखे से भिड़ी।
2.
धान लगाती
ढेर सारी गोपियाँ
कजरी गाती।
3.
हार पे हार
बहुत निर्लज्ज है
फिर तैयार।
4.
बिखरे बीज
धरती खुश हुई
मिली संतान।
5.
बड़ा सुकून
कन्धों पर उठाया
चार लोगों ने।
अमन चाँदपुरी 

1 टिप्पणी:

  1. हरिः ॐ तत्सत
    आदरणीय मयंक जी,
    सादर नमन
    अद्भुत सृजन रहा है सदैव अमन का फेसबुक से जनता थे हम दोनों
    अमन तुम्हारी चिठ्ठियाँ मैं रख सकूँ सम्भाल|
    इसीलिए संदूक से गहने दिए निकाल ||
    बहु चर्चित दोहा है

    ||पुनश्च सादर नमन||

    आचार्य प्रताप
    प्रबंध निदेशक
    अक्षर वाणी संस्कृत समाचार पत्र

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