तेरे जिस्म में रुह कितना आजाद है हमसे पूछ
किसी मसले का क्या निजाद है हमसे पूछ
तुझे क्यों लगा कि उसका एहसान है तेरा होना
तेरा
होकर जीना उसका मफाद है हमसे पूछ
वह कह देता है दिल की बात चेहरे पे उतार कर
मेरे घर के आइने में भी आवाज है हमसे पूछ
उससे जुदा होकर जीना फरेब है मेरा, सुन
वह शख्स अब भी दिल में आबाद है हमसे पूछ
वह जहाॅ चाहे रहे, जीए आदमी नहीं है वह
जहाॅ में परिंदा आजाद है हर सिम्त हमसे पूछ
अपनाया खिलौने की तरह तोड़ा खिलौने
की तरह
कम्बख्त इश्क भी जरुरतों का इजाद है हमसे पूछ
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