मैया ये कैसी चाकरी
जब से ममता बनर्जी ने नेताजी सुभाष से ताल्लुक रखने वाली चंद फाइलें खोलीं हैं समय इतिहास के सच को पत्थर पर लिखने को उतावला हो चला है। आंच सीधे सीधे नेहरू पर आएगी। जिसे १९४५ में ही यह सत्य पता था की नेताजी की मृत्यु नहीं हुई है उस दिन जापान के किसी विमान ने भी इंगित गंतव्य की और उड़ान नहीं भरी थी। लेकिन नेहरू इतिहास की पुस्तकों में यही पढ़वाते रहे कि नेताजी जिस विमान में बैठे थे वह लापता हो गया था। उसका आज तक मलबा भी नहीं मिला है।
हुज़ूर जब विमान उड़ा ही नहीं तो मलबा कहाँ से आयेगा।क्या मास्को से आएगा जिसके भारतीय एजेंटो ने जो कहा उसे इतिहास मान समझ लिया गया। इस षड्यंत्र के पीछे क्या था इसका खुलासा 'नेहरू बे -नकाब'(लेखक हंस राज रहबर ) में ही नहीं हुआ पूर्व में डॉ रामकृपाल शर्मा की लिखी एक किताब हरद्वार से प्रकाशित हुई थी 'नेहरुनामा' जिसमें यह प्रमाणित किया गया था की नेहरू सनातन धर्म (भारतधर्मी समाज )विरोधी थे।
भूमिका कहीं लंबा न जाए इसलिए मुद्दे पर लौटते हैं। मुद्दा सीधा साधा है और मनीष तिवारी प्रवक्ता सोनिया मायनो कांग्रेस से ताल्लुक रखता है जो अब ये कह रहे हैं कि हम केंद्र सरकार से पुरज़ोर अनुरोध करेंगे वे नेताजी से ताल्लुक रखने वाली शेष फाइलें भी खोलें डी -क्लासिफाई करें।
तो भैया ये काम आपकी कांग्रेस ने क्यों नहीं इतने सालों में किया । और अगर नहीं किया तो आप अब उसकी पेशकश क्यों कर रहे हैं केंद्र सरकार से। क्या आप मोदी के एजेन्ट हैं। जिन्होनें सबसे पहले ये मुद्दा तब उठाया था जब चन्द्र बोष (प्रपोत्र नेताजी )मोदी जी से मिलने पहुंचे थे। ममता बनर्जी बधाई की पात्रा हैं जिन्होनें इसे मुद्दे को फिर से उठा दिया है।
क्या मनीष तिवारी सोनिया को फसवाना चाहते हैं। आज आप बोलें हैं इस बाबत कल को सिंघवी साहब बोलेंगे फिर जयराम रमेश ,सुरजेवाला अपनी उकील साहब सिब्बल बोलंगे।सोनिया मायनो से हमें सहानुभूति है साथ ही अनुरोध है वह मनिषतिवारी को कांग्रेस से बाहर का रास्ता दिखलाएं।
ठीकई है मैया डूबते हुए जहाज से चूहे कूदने लगते हैं। लगता है अंत में अपने उस मंद बुद्धि बालक को गोदमे लेकर मायनो इटली भागेंगी जो अभी तक सूट बूट की सरकार पर ही अटका हुआ है उसे किसी ने नया सबक अभी तक याद नहीं कराया। कहता है चंपारण में जहां न उसकी सभा में लालू थे न नीतीश कि एक चायवाला था जो अब पैसे इकठ्ठे करके पन्द्र लाख का सूट पहनने लगा है इसे लोग प्रधानमन्त्री कहने लगे हैं। इससे पहले बात बिहार तक पहुंचे मनीष को उनकी औकात से वाकिफ करवाया जाए।
भैया राहुल और मइया मायनो हम तुम्हें गांधी इसलिए नहीं कहते कि तुम दोनों मिलकर भी गांधी के तमाम बेटों पोतों और प्रपोत्रों के क्या घियासुद्दीन गाज़ी उर्फ़ गंगाधर नेहरू की वंशावली के बारे में भी कुछ नहीं जानते।अब जानने की ज़रूत्र्त भी क्या है।जब चिड़िया चुग गईं खेत।
नीतिपरक भजन सुनिए :
साधौ निंदक मित्र हमारो ,
निंदक को नीयरे ही राखो ,
होन न देऊ न्यारा ,साधौ निंदक मित्र हमारा
घन अहरन जस हीरा निपटै ,
कीमत लक्ष्य हज़ारा ,
ऐसे जाँचत दुष्ट संत को ,
करन जगत उजियारा ,साधौ निंदक मित्र हमारा
सुखी रहो निंदक जग माहीं ,
रोग न हो संसारा ,
हमरी निंदा करने वाला ,
उतरे भव- निधि पारा ,साधौ निंदक मित्र हमारा।
निंदक के चरनन की स्तुति ,
बरनों बारम्बारा ,
चरण दास कहें ,सुनिए साधौ ,
निंदक साधक भारा ,साधौ निंदक मित्र हमारा।
SHRI BHAKTMAL KATHA KALAMANDIR KOLKATTA BY SHRI RAJENDRADAS JI MAHARAJ PART 11
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जब से ममता बनर्जी ने नेताजी सुभाष से ताल्लुक रखने वाली चंद फाइलें खोलीं हैं समय इतिहास के सच को पत्थर पर लिखने को उतावला हो चला है। आंच सीधे सीधे नेहरू पर आएगी। जिसे १९४५ में ही यह सत्य पता था की नेताजी की मृत्यु नहीं हुई है उस दिन जापान के किसी विमान ने भी इंगित गंतव्य की और उड़ान नहीं भरी थी। लेकिन नेहरू इतिहास की पुस्तकों में यही पढ़वाते रहे कि नेताजी जिस विमान में बैठे थे वह लापता हो गया था। उसका आज तक मलबा भी नहीं मिला है।
हुज़ूर जब विमान उड़ा ही नहीं तो मलबा कहाँ से आयेगा।क्या मास्को से आएगा जिसके भारतीय एजेंटो ने जो कहा उसे इतिहास मान समझ लिया गया। इस षड्यंत्र के पीछे क्या था इसका खुलासा 'नेहरू बे -नकाब'(लेखक हंस राज रहबर ) में ही नहीं हुआ पूर्व में डॉ रामकृपाल शर्मा की लिखी एक किताब हरद्वार से प्रकाशित हुई थी 'नेहरुनामा' जिसमें यह प्रमाणित किया गया था की नेहरू सनातन धर्म (भारतधर्मी समाज )विरोधी थे।
भूमिका कहीं लंबा न जाए इसलिए मुद्दे पर लौटते हैं। मुद्दा सीधा साधा है और मनीष तिवारी प्रवक्ता सोनिया मायनो कांग्रेस से ताल्लुक रखता है जो अब ये कह रहे हैं कि हम केंद्र सरकार से पुरज़ोर अनुरोध करेंगे वे नेताजी से ताल्लुक रखने वाली शेष फाइलें भी खोलें डी -क्लासिफाई करें।
तो भैया ये काम आपकी कांग्रेस ने क्यों नहीं इतने सालों में किया । और अगर नहीं किया तो आप अब उसकी पेशकश क्यों कर रहे हैं केंद्र सरकार से। क्या आप मोदी के एजेन्ट हैं। जिन्होनें सबसे पहले ये मुद्दा तब उठाया था जब चन्द्र बोष (प्रपोत्र नेताजी )मोदी जी से मिलने पहुंचे थे। ममता बनर्जी बधाई की पात्रा हैं जिन्होनें इसे मुद्दे को फिर से उठा दिया है।
क्या मनीष तिवारी सोनिया को फसवाना चाहते हैं। आज आप बोलें हैं इस बाबत कल को सिंघवी साहब बोलेंगे फिर जयराम रमेश ,सुरजेवाला अपनी उकील साहब सिब्बल बोलंगे।सोनिया मायनो से हमें सहानुभूति है साथ ही अनुरोध है वह मनिषतिवारी को कांग्रेस से बाहर का रास्ता दिखलाएं।
ठीकई है मैया डूबते हुए जहाज से चूहे कूदने लगते हैं। लगता है अंत में अपने उस मंद बुद्धि बालक को गोदमे लेकर मायनो इटली भागेंगी जो अभी तक सूट बूट की सरकार पर ही अटका हुआ है उसे किसी ने नया सबक अभी तक याद नहीं कराया। कहता है चंपारण में जहां न उसकी सभा में लालू थे न नीतीश कि एक चायवाला था जो अब पैसे इकठ्ठे करके पन्द्र लाख का सूट पहनने लगा है इसे लोग प्रधानमन्त्री कहने लगे हैं। इससे पहले बात बिहार तक पहुंचे मनीष को उनकी औकात से वाकिफ करवाया जाए।
भैया राहुल और मइया मायनो हम तुम्हें गांधी इसलिए नहीं कहते कि तुम दोनों मिलकर भी गांधी के तमाम बेटों पोतों और प्रपोत्रों के क्या घियासुद्दीन गाज़ी उर्फ़ गंगाधर नेहरू की वंशावली के बारे में भी कुछ नहीं जानते।अब जानने की ज़रूत्र्त भी क्या है।जब चिड़िया चुग गईं खेत।
नीतिपरक भजन सुनिए :
साधौ निंदक मित्र हमारो ,
निंदक को नीयरे ही राखो ,
होन न देऊ न्यारा ,साधौ निंदक मित्र हमारा
घन अहरन जस हीरा निपटै ,
कीमत लक्ष्य हज़ारा ,
ऐसे जाँचत दुष्ट संत को ,
करन जगत उजियारा ,साधौ निंदक मित्र हमारा
सुखी रहो निंदक जग माहीं ,
रोग न हो संसारा ,
हमरी निंदा करने वाला ,
उतरे भव- निधि पारा ,साधौ निंदक मित्र हमारा।
निंदक के चरनन की स्तुति ,
बरनों बारम्बारा ,
चरण दास कहें ,सुनिए साधौ ,
निंदक साधक भारा ,साधौ निंदक मित्र हमारा।
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