कविता...हिन्दी की रेल.....हिन्दी दिवस पर ....डा श्याम गुप्त ....
अंग्रेज़ी की मेट्रो |
हिन्दी की ये रेल न जाने,
चलते चलते क्यों रुक जाती |
जैसे ही रफ़्तार पकडती,
जाने क्यूं धीमी होजाती ||
कभी नीति सरकारों की या,
कभी नीति व्यापार-जगत की |
कभी रीति इसको ले डूबे ,
जनता के व्यबहार-जुगत की ||
हम सब भी दैनिक कार्यों में,
अंग्रेज़ी का पोषण करते |
अंग्रेज़ी अखबार मंगाते,
नाविल भी अंग्रेज़ी पढते ||
सभी नीति का करने वाली |
सब अंग्रेज़ी के कायल हैं,
है अंग्रेज़ी ही पढने वाली ||
नेताजी लोकतंत्र क्या है,
पढने अमेरिका जाते हैं |
व्यापारी कैसे सेल करें,
योरप से सीख कर आते हैं ||
यान्त्रीकरण का दौर हुआ,
फिर धीमी इसकी चाल हुई |
टीवी बम्बैया-पिक्चर से,
इसकी भाषा बेहाल हुई ||
हिन्दी की छुक छुक |
छुक छुक कर आगे रेल बढ़ी,
कम्प्युटर मोबाइल आये |
अब नए बहाने फिर आये ||
फिर चला उदारीकरण दौर,
हम तो उदार जगभर के लिए |
दुनिया ने फिर भारत भर में,
अंग्रेज़ी दफ्तर खोल लिए ||
अब बहुराष्ट्रीय कंपनियां है,
सर्विस की मारा मारी है |
हर तरफ तनी है अंग्रेज़ी,
हिन्दी तो बस बेचारी है ||
इठलाये जग पर छाते हैं |
उनसे ही मजदूरी लेकर,
उन पर ही खूब लुटाते हैं ||
क्या इस भारत में हिन्दी की,
मेट्रो भी कभी चल पायेगी |
या छुक छुक छुक चलने वाली ,
पेसेंजर ही रह जायेगी ||
सटीक रचना !!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद पूरण जी....
हटाएंसुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंहिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
जय हिन्दी जय हिन्दुस्तान ---
हटाएं
जवाब देंहटाएंकई क्षेत्र ऐसे उभर रहें हैं जहां अच्छी साहित्यिक हिंदी जाने बिना काम नहीं बनता -इलेक्ट्रोनी जन संचार इलेक्ट्रोनी मीडिया ऐसा ही क्षेत्र है जहां आपको सिर्फ अंग्रेजी जान ने से काम नहीं मिलेगा। विज्ञापन की दुनिया भी हिन्दवी है। हिन्दानी है। हद तो ये है विदेश में भी भारतीय जब मिलते हैं अंग्रेजी में बतियाते हैं एक मर्तबा नहीं अनेक बार मैं ने यह देखा महसूस किया है। साल में चार पांच महीने मैं बाहर ही रहता हूँ ,कई बार खीझ भी होती है लेकिन पहल अपने हाथ में लेके फिर आगे बढ़ना होता है नमस्ते और ॐ शान्ति के साथ साथ मैं सबन को गुड मोर्निग ,हेपी मोर्निंग गोल्डन मोर्निंग भी कहता हूँ।
---अच्छे चिन्ह हैं....राम-राम, जय राम जी की, नमस्ते, गुड मोर्निंग, सत श्री अकाल, मणक्कम ---जय हिन्दी जय भारती ....
हटाएंहिंदी प्रेम दिवस कहो इसे -
जवाब देंहटाएंदेखो विडंबना देखो गौर से भाई -
पड़े मनाना दिवस भी हिंदी -
चलो आज कुल्ला दिवस भी मनाएं ,
आज सभी भारत भारती कुल्ला करें ,
हाथ धोएं ,स्नान करें ,
खाना खाएं ,
मौज मनाएं
करें प्यार अंग्रेजी को पर दिल से
हिंदी भी अपनाएँ ,
बाल गोपालन को सिखलाएँ ,
चलो हिंदी प्रेम दिवस मनाएं।
हटाएं--- कुल्ला हिन्दी में करें या अंग्रेज़ी में ?
सब भाषा सुन्दर अति सुन्दर,
पर हिन्दी की बात निराली |
ॐ शान्ति।
जवाब देंहटाएंनिज भाषा उन्नति अहै सब उन्नति को मूल ,
बिन निज भाषा ज्ञान के मिटे न हिय को शूल।
इतने शहरी हो गए लोगों के ज़ज्बात ,
हिंदी भी करने लगी अंग्रेजी में बात।
ॐ शान्ति।
जवाब देंहटाएंनिज भाषा उन्नति अहै सब उन्नति को मूल ,
बिन निज भाषा ज्ञान के मिटे न हिय को शूल।
इतने शहरी हो गए लोगों के ज़ज्बात ,
हिंदी भी करने लगी अंग्रेजी में बात।
एक गजल कुछ ऐसी हो बिलकुल तेरे (हिंदी )जैसी हो ,
मेरा चाहे कुछ भी हो तेरी कभी न हेटी हो।
हिंदी की न हेटी हो।
तेरी ,मेरी कभी न हो हिंदी तेरिमेरी हो।
'हिंदी भी करने लगी अंग्रेजी में बात। '..क्या कहा है...
जवाब देंहटाएंदोज हू नॉट नोइंग हिन्दी रेज़ देयर हेंड्स ----
ॐ शान्तिx ३...
श्रीमान आपकी लेखनी अत्त्यन्त ही रोचक और शिक्षाप्रद है,ह्रदय से आभार व्यक़्त करता हूँ, "हिंदी" आज स्वयं में ही अंतर्नाद कर रही है ,अपनों की अनदेखी झेल रही है क्यों ?ये देखा जा रहा है लोग अपनी ही मातृभाषा को लिखने और पढ़ने में लज्जा का अनुभव कर रहें हैं, जबकि किसी देश की भाषा ही उसकी उन्नति का मूल है।"
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