पार्टी की थूक सरकार के मुंह में
राहुल ने थूका सरकार ने खुश होकर गटक लिया। यही मंत्री थे जिनका वह फैसला था। पूरी काबिना का संविधानिक फैसला था यह
जिसे राहुल ने यूं बरतरफ़ कर दिया। और उनकी बगल में खड़े वही मंत्री जिनका यह फैसला था फूले नहीं समा रहे थे। कई दिनों से
इन्हें जूते नहीं पड़े थे। अब ये जूते खाके परमानंद को प्राप्त हुए हैं।
धन्य है यह भारत देश देट इज इंडिया जहां संविधानिक फैसलों की यूं धज्जियां उड़ाई जाती हैं और पार्टीजन हर्षित हैं सरकारी मंत्री
प्रमुदित हैं ।
राहुल को कुछ कहना था तो तब कहते जब यह फैसला लिया जा रहा था कि दागी संसद की शोभा हैं उन पर सब बलिहारी हैं। अब जब
लगा राष्ट्रपति आभा वाले हैं यह फैसला पिटेगा ही पिटेगा तब दिग्विजय के मंद बुद्धि चेले ने आस्तीन चढ़ाके वह सब बोला जो
मीडिया
सेंटर में भारत के लोगों ने देखा। ये मदारी भोपाली अभी और भी करतब दिखलाएगा।
इसे कहते हैं खुला खेल भोपाली झमूरा विलायती।
कल को ये झमूरा सुप्रीम कोर्ट के बारे में भी कुछ भी प्रलाप कर सकता है -"ये सुप्रीम कोर्ट वोर्ट कुछ नहीं होता मैं फाड़के फांकता हूँ
इसके निर्णय को "
सोचे कांग्रेस ये दिग्विजय इसे कौन सी विजय दिलवा रहे हैं ?
प्रणव नाद सा मुखर जी, पाता है सम्मान |
जवाब देंहटाएंमौन मृत्यु सा बेवजह, ले पल्ले अपमान |
ले पल्ले अपमान , व्यर्थ मुट्ठियाँ भींचता |
बेमकसद यह क्रोध, स्वयं की कब्र सींचता |
नहिं *अधि ना आदेश, मात्र दिख रहा हादसा |
रविकर हृदय पुकार, आज से प्रणव नाद सा ||
*प्रधान