दोस्तो की भीड़ मे भी एक दोस्त की तलाश है मुझे
अपनो की भीड़ मे भी एक अपने की प्यास है मुझे,
छोड आता है हर कोइ समन्दर के बीच मुझे,
लडना और जीतना चाहता हूँ इन अन्धेरो के गमो से,
अब तो बस एक शमा के उजाले की तलाश है मुझे,
अपनी हर ज़िन्दगी में तंग आ चुका हूँ इस बेवक्त की मौत से मै,
अब अपनी इस ज़िन्दगी में एक हसीन ज़िन्द्गी की तलाश है मुझे,
क्या पागल और दीवाना हूँ मै, सब यही कह कर सताते है मुझे,
सादर स्नेह सहित,
आपका स्नेहाकांक्षी दोस्त
--ललित चाहार--
बहुत सुन्दर .........
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जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा ग़ज़ल
latest post: यादें
--सुन्दर ग़ज़ल है ..बधाई ....कुछ समीक्षा है.....
जवाब देंहटाएं-----अपनी हर ज़िन्दगी में तंग आ चुका हूँ इस बेवक्त की मौत से मै, ---- क्या अब तक की सारी जिंदगियां याद हैं .....भई ?
--अन्धेरो के गमो से = गम के अंधेरों से ..
---क्या पागल और दीवाना हूँ मै, सब यही कह कर सताते है मुझे, ---अंत में 'मुझे' अनावश्यक है...
बहुत बढिया प्रस्तुति ....बधाई !!
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया प्रस्तुति ....बधाई !!
जवाब देंहटाएंआशा पूरी हो ..
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें !