मित्रों!

आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं।

बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए।


फ़ॉलोअर

गुरुवार, 19 सितंबर 2013

एक ग़ज़ल : तुम्हारा शौक़ ये होगा...

तुम्हारा शौक़ ये होगा भरोसे को जगा देना
दिखावा दोस्ती का कर के फिर ख़ंज़र चला देना

हलफ़् सच की उठा कर फिर गवाही झूट की देकर
तुम्हारे दिल पे क्या गुज़री ,ज़रा ये भी बता देना

चले थे  इन्क़लाबी दौर  में  कुर्बानियां  करने
कहो,फिर क्या हुआ ’दिल्ली’में जा कर सर झुका देना

बड़ी हिम्मत शिकन होती सफ़र है राह-ए-उल्फ़त की
जहाँ अन्जाम होता है ख़ुदी में ख़ुद मिटा देना

पसीने से लिखा करता हूँ हर्फ़-ए-कामयाबी ख़ुद
तुम्हारा क्या ! ख़रीदे क़लम से कुछ भी लिखा देना

तुम्हारे हुनर में ये भी चलो अब हो गया शामिल
कि सच को झूट कह देना कि बातिल सच बता देना

वही दुनिया के रंज-ओ-ग़म,वही आलाम-ए-हस्ती है
कहीं ’आनन्द’ मिल जाये तो ’आनन’ से मिला देना

शब्दार्थ
आलाम-ए-ह्स्ती =जीवन के दुख
बातिल    = झूट
आनन्द = खुशी /अपना नाम ’आनन्द’

 -आनन्द.पाठक
09413395592

3 टिप्‍पणियां:

  1. चले थे इन्क़लाबी दौर में कुर्बानियां करने
    कहो,फिर क्या हुआ ’दिल्ली’में जा कर सर झुका देना

    आनंद पाठाक साहब बहुत असरदार गजल पढ़ -वाई आपने -

    झूठ कर लें झूट को

    जवाब देंहटाएं
  2. आला दर्जे की गजल कह रहें हैं आप।

    जवाब देंहटाएं