अल्पसंख्यक --
बने बहुसंख्यक //
बहुसंख्यक हैं अल्प/
जाने फिर से कब होगा?
देश का कायाकल्प//
मानव एक रहे कहाँ?
सब मे व्याप्त है छेद/
मनुष्य- मनुष्य मे ..
कोइ कहते शर्मा जी/
क्रिया करम ना एक से ..
चाहे हो हों विश्व्कर्मा जी//
कोई यहाँ बैठा है..
कोई कहलाता है राम/
जात- पातके चंगुल मे..
एक बिमारी एक दवा/
लेते हैं साथ सभी..
एक पानी एक हवा//
नहीं शिकायत मानवता से..
हो सबकी सबको खैर/
मनवता मे भेद मिटे..
ना राय किसिसे वैर//
--------------श्री राम रॉय
बने बहुसंख्यक //
बहुसंख्यक हैं अल्प/
जाने फिर से कब होगा?
देश का कायाकल्प//
मानव एक रहे कहाँ?
सब मे व्याप्त है छेद/
मनुष्य- मनुष्य मे ..
ना जने कितने भेद//
कोई यहाँ सिंह बने..कोइ कहते शर्मा जी/
क्रिया करम ना एक से ..
चाहे हो हों विश्व्कर्मा जी//
कोई यहाँ बैठा है..
कोई कहलाता है राम/
जात- पातके चंगुल मे..
फंस के हुआ देश गुलाम//
रंग खून के नही अनेक..एक बिमारी एक दवा/
लेते हैं साथ सभी..
एक पानी एक हवा//
नहीं शिकायत मानवता से..
हो सबकी सबको खैर/
मनवता मे भेद मिटे..
ना राय किसिसे वैर//
--------------श्री राम रॉय
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