श्रीमद्भागवत गीता चौदहवाँ अध्याय (श्लोक ६ -१० )
(६ )हे पापरहित अर्जुन ,इनमें (तिर्गुनों में )सतोगुण निर्मल होने के कारण विकाररहित और ज्ञान देने वाला है यह जीव को सुख और ज्ञान की आसक्ति से बांधता है।
O Arjuna !Of these three Gunas Sattva being pure is luminous and wholesome .It binds the embodied one with a desire for happiness and knowledge.
(७ )हे अर्जुन ,रजोगुण को राग स्वरूप समझो ,जिससे विषय भोग की प्यास (तृष्णा )और आसक्ति उत्पन्न होती है। यह जीवात्मा को आसक्ति से बांधता है।
O Arjuna !Know that the Rajas to be of the nature of passion , as a source of sensuality and consanguinity .It binds the embodied one with a desire for action .
(८ )और हे भारत ,सब जीवों को भ्रम में डालनेवाले तमोगुण को अज्ञान से उत्पन्न जानो। तमोगुण लापरवाही ,आलस और निद्रा के द्वारा जीव को बांधता है।
O Arjuna !Know that Tamas is born of ignorance deluding all the embodied beings .It binds the embodied one by heedlessness ,indolence and sleep .
(९ )हे अर्जुन ,सतोगुण सुख में और रजोगुण कर्म में आसक्त करवाता है तथा तमोगुण ज्ञान को ढक कर जीव को लापरवाह बना देता है।
O Arjuna !The Sattva causes attachment to happiness and the Rajas causes attachment to action ,but the Tamas verily concedes knowledge and binds one with idiocracy(idiocy).
(१० )हे अर्जुन ,कभी रजोगुण और तमोगुण को दबाकर सतोगुण ,कभी सतोगुण और रजोगुण को दबाकर तमोगुण बढ़ता है।
O Arjuna !Sattva preponderates itself by subduing the Rajas and the Tamas ;subduing the Rajas and the Sattva ,Rajas becomes predominate .
ॐ शान्ति
अर्जुन के बन सारथी ,दिया उसे उपदेश ,
दूर किये संशय सभी ,दे उसको उपदेश।
----------------सरिता भाटिया जी।
(६ )हे पापरहित अर्जुन ,इनमें (तिर्गुनों में )सतोगुण निर्मल होने के कारण विकाररहित और ज्ञान देने वाला है यह जीव को सुख और ज्ञान की आसक्ति से बांधता है।
O Arjuna !Of these three Gunas Sattva being pure is luminous and wholesome .It binds the embodied one with a desire for happiness and knowledge.
(७ )हे अर्जुन ,रजोगुण को राग स्वरूप समझो ,जिससे विषय भोग की प्यास (तृष्णा )और आसक्ति उत्पन्न होती है। यह जीवात्मा को आसक्ति से बांधता है।
O Arjuna !Know that the Rajas to be of the nature of passion , as a source of sensuality and consanguinity .It binds the embodied one with a desire for action .
(८ )और हे भारत ,सब जीवों को भ्रम में डालनेवाले तमोगुण को अज्ञान से उत्पन्न जानो। तमोगुण लापरवाही ,आलस और निद्रा के द्वारा जीव को बांधता है।
O Arjuna !Know that Tamas is born of ignorance deluding all the embodied beings .It binds the embodied one by heedlessness ,indolence and sleep .
(९ )हे अर्जुन ,सतोगुण सुख में और रजोगुण कर्म में आसक्त करवाता है तथा तमोगुण ज्ञान को ढक कर जीव को लापरवाह बना देता है।
O Arjuna !The Sattva causes attachment to happiness and the Rajas causes attachment to action ,but the Tamas verily concedes knowledge and binds one with idiocracy(idiocy).
(१० )हे अर्जुन ,कभी रजोगुण और तमोगुण को दबाकर सतोगुण ,कभी सतोगुण और रजोगुण को दबाकर तमोगुण बढ़ता है।
O Arjuna !Sattva preponderates itself by subduing the Rajas and the Tamas ;subduing the Rajas and the Sattva ,Rajas becomes predominate .
ॐ शान्ति
अर्जुन के बन सारथी ,दिया उसे उपदेश ,
दूर किये संशय सभी ,दे उसको उपदेश।
----------------सरिता भाटिया जी।
Madhuban Murli LIVE - 1/9/2013 (7.05am to 8.05am IST) - YouTube
www.youtube.com/watch?v=EPHP5yrfPCA
14 hours ago - Uploaded by Madhuban Murli Brahma KumarisMurli is the real Nectar for Enlightenment, Empowerment of Self (Soul). Murli is the source of income which ...
सुन्दर प्रस्तुति ...
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