बेचारी धरा से कौन
साहनूभूति करें
सहलाती हैं गुनाह
हमारे भूलाती हैं
मां बाप
वृद्धावस्था में आशा रखते
यह तो
वह भी नही कुछ चाहती
हैं
कहते संतान
पर मां का असर होता
फिर क्यों
हम गलती कर जाते हैं
अवैध
खनन से माँ का चीरहरण व
संतानें
लुटती आपस में लडती देख
माँ
का हृदय तो बेइन्तहा रो रहा हैं
पथिक
अनजाना
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