दरबार खुदा का निर्णायक पुजारी-पथिकअनजाना-531 वीं पोस्ट
लोग कुछ यहाँ पर किस्मत की बाट जोहते हैं
लोग मेहनतकणों को स्वर्ण मुद्रा में खोजते हैं
कुछ कफन के इंतजार में जिन्दगी बिताते हैं
इंतजार सभी को बिताते वक्त अपने ढंग
से
हैरां मंजिल से वाकिफ हो गुमराह खो जाते हैं
अनचाहे रंगी बादलों पर सवार मस्त होते हैं
अनजाने खुदा को सेवार्थ मदद को बुलाते हैं
इंसा औकात की नही सपने रंगीन सजाते हैं
हास्यापद दरबार खुदा का निर्णायक पुजारी
हैरां पथिक देख दुनिया के अजब जमाने को
कोसें जिन्दगी को खोजते जीने के बहानों को
इंतजार जिसे भूलना चाहे व कफन खोजते हैं
पथिक अनजाना
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