बुद्धिमान की
पहचान शांत खोज निगाहें व मुस्कान
वे लिखित या व्यक्त उदगारों से राह बना
ही लेते हैं
सोच व विचार अन्य के चिन्तक तो यह कहलाजाते
नहीं सजाते दीवालों या आलों में न पूजते
राहों को हैं
मंथन कर अमृत कलश को छीन हासिल कर ले जाते
दे
गर ध्यान तू विचारों पर सुकर्म पुष्प खिल जाते हैं
ये वे पुष्प जो कि न केवल दिन-रात रहते
सुगन्धित
सुराह पथगामियों को करते आकर्षित अमर
सुगन्ध
रहती कायम पहचान बुद्धिमान की महान पा
जाते हैं
पथिक अनजाना
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